वह जो हर आंख को पैमाने नज़र आये है - वसीम बरेलवी Vah Jo Har Aankh Ko Paimaane Nazar Aaye Hai - Waseem Barelvi

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वह जो हर आंख को पैमाने नज़र आये है - वसीम बरेलवी
Vah Jo Har Aankh Ko Paimaane Nazar Aaye Hai - Waseem Barelvi


वह जो हर आंख को पैमाने नज़र आये है
मुझसे मिलती है वही आंख तो भर जाये है

कोई साथी, न कोई राह, न सिम्त-ए-मंज़िल
मेरे पीछे कोई जैसे मेरे घर आये है

ज़िन्दगी फूल सी नाज़ुक है, मगर ख्वाबों की
आंख से देखो, तो कांटों सी नज़र आये है
Wasim-Barelvi

इंतिज़ार एक सफ़र है कि जो हो खत्म, तो फिर
रात आकाश से आंखों में उतर आये है

मुंहसिर अब तो इसी आस पे जीना है 'वसीम'
रात के बाद सुना है कि सहर आये है।

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