Hindi Kavita
हिंदी कविता
वह जो हर आंख को पैमाने नज़र आये है - वसीम बरेलवी
Vah Jo Har Aankh Ko Paimaane Nazar Aaye Hai - Waseem Barelvi
वह जो हर आंख को पैमाने नज़र आये है
मुझसे मिलती है वही आंख तो भर जाये है
कोई साथी, न कोई राह, न सिम्त-ए-मंज़िल
मेरे पीछे कोई जैसे मेरे घर आये है
ज़िन्दगी फूल सी नाज़ुक है, मगर ख्वाबों की
इंतिज़ार एक सफ़र है कि जो हो खत्म, तो फिर
रात आकाश से आंखों में उतर आये है
मुंहसिर अब तो इसी आस पे जीना है 'वसीम'
रात के बाद सुना है कि सहर आये है।
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