Hindi Kavita
हिंदी कविता
उदास एक मुझी को तो कर नहीं जाता - वसीम बरेलवी
Udas ek mujhi ko to kar nahi jata - Waseem Barelvi
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
वह मुझसे रुठ के अपने भी घर नही जाता
वह दिन गये कि मुहबबत थी जान की बाज़ी
किसी से अब कोई बिछडे तो मर नही जाता
तुमहारा प्यार तो सांसों मे सांस लेता है
जो होता नश्शा तो इक दिन उतर नही जाता
पुराने रिश्तों की बेग़रिज़यां न समझेगा
वह अपने ओहदे से जब तक उतर नही जाता
'वसीम' उसकी तडप है, तो उसके पास चलो
कभी कुआं किसी प्यासे के घर नही जाता
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