गंगा-स्‍तवन–एक - वीरेन डंगवाल Viren Dangwal Part 13

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

गंगा-स्‍तवन–एक - वीरेन डंगवाल Viren Dangwal Part 13

यह वन में नाचती एक किशोरी का एकांत उल्‍लास है
अपनी ही देह का कौतुक और भय !
वह जो झरने बहे चले आ रहे हैं
हजारों-हजार
हर कदम उलझते-पुलझते कूदते-फांदते लिए अपने साथ अपने-अपने इलाके की
वनस्‍पतियों का रस और खनिज तत्‍व
दरअसल उन्‍होंने ही बनाया है इसे
देवापगा
गंग महरानी !

Viren-Dangwal

गंगा-स्‍तवन–दो - वीरेन डंगवाल

गंगा के जल में ही बनती है
हरसिल इलाके की कच्‍ची शराब

घुमन्‍तू भोटियों ने खोल दिए हैं कस्‍बे में खोखे
जिनमें वे बेचते हैं
दालें-सुई-धागा-प्‍याज-छतरियां-पालिथीन
वगैरह
निर्विकार चालाकी के साथ ऊन कातते हुए

दिल्‍ली का तस्‍कर घूम रहा है
इलाके में अपनी लम्‍बी गाड़ी पर
साथ बैठाले एक ग्रामकन्‍या और उसके शराबी बाप को
इधर फोकट में मिल जाए अंग्रेजी का अद्धा
तो उस अभागे पूर्व सैनिक को
और क्‍या चाहिए !

गंगा-स्‍तवन–तीन - वीरेन डंगवाल

इस तरह चीखती हुई बहती है
हिमवान की गलती हुई देह !

लापरवाही से चिप्‍स का फटा हुआ पैकेट फेंकता वह
आधुनिक यात्री
कहां पहचान पाएगा वह
खुद को नेस्‍तनाबूद कर देने की उस महान यातना को
जो एक अभिलाषा भी है

कठोर शिशिर के लिए तैयार हो रहे हैं गांव

विरल पत्र पेड़ों पर चारे के लिए बांधे जा चुके
सूखी हुई घास और भूसे के
लूटे-परखुंडे
घरों में सहेजी जा चुकी
सुखाई गई मूलियां और उग्‍गल की पत्तियां

गंगा-स्‍तवन–चार - वीरेन डंगवाल

मुखबा में हिचकियां लेती-सी दिखती हैं
अतिशीतल हरे जल वाली गंगा !

बादलों की ओट हो चला गोमुख का चितकबरा शिखर

जा बेटी, जा वहीं अब तेरा घर होना है
मरने तक

चमड़े का रस मिले उसको भी पी लेना
गाद-कीच-तेल-तेजाबी रंग सभी पी लेना
ढो लेना जो लाशें मिलें सड़ती हुईं
देखना वे ढोंग के महोत्‍सव
सरल मन जिन्‍हें आबाद करते हैं अपने प्‍यार से

बहती जाना शांत चित्‍त सहलाते-दुलराते
वक्ष पर आ बैठे जल-पाखियों की पांत को

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Viren Dangwal) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(स्याही ताल Part 12 Link Button) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(स्याही ताल Part 14 Link Button) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!