Hindi Kavita
हिंदी कविता
क़तरा हूँ, अपनी हद से गुज़रता नहीं - वसीम बरेलवी
Qatra Hoon Apni Had Se Guzarta Nahi - Wasim Barelvi
क़तरा हूं, अपनी हद से गुज़रता नही
मै समन्दर को बदनाम करता नही
तू अगर एक हद से गुज़रता नही
मैं भी अपनी हदे पार करता नही
अपनी कम-िहममती को दुआ दीिजये
पर किसी के कोई यूं कतरता नही
जाने क्या हो गयी इसकी मासूिमयत
अब ये बचचा धमाकों से डरता नही
बस, ज़मी से जुडी हैं सभी रौनके
आसमां से कोई घर उतरता नही
(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Wasim Barelvi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(मेरा क्या - बरेलवी) #icon=(link) #color=(#2339bd)
Tags