Hindi Kavita
हिंदी कविता
मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता - वसीम बरेलवी
Main Aasmaan Pe Bahut Der Rah Nahin Sakta - Waseem Barelvi
मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता
मगर ये बात ज़मीं से तो कह नहीं सकता
किसी के चेहरे को कब तक निगाह में रक्खूँ
ये आज़माने की फ़ुर्सत तुझे कभी मिल जाए
मैं आँखों आँखों में क्या बात कह नहीं सकता
सहारा लेना ही पड़ता है मुझ को दरिया का
मैं एक क़तरा हूँ तन्हा तो बह नहीं सकता
लगा के देख ले जो भी हिसाब आता हो
मुझे घटा के वो गिनती में रह नहीं सकता
ये चंद लम्हों की बे-इख़्तियारियाँ हैं 'वसीम'
गुनह से रिश्ता बहुत देर रह नहीं सकता।
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