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कैसा दरिया है कि प्यासा तो न मरने देगा - वसीम बरेलवी
Kaisa Dariya Hai Ki Pyaasa - Wasim Barelvi
कैसा दरिया है कि प्यासा तो न मरने देगा
अपनी गहराई का अंदाज़ा न करने देगा
ख़ाक़-ए-पा हो के मिलो, जिससे मिलो, फिर देखो
इस बुलंदी से तुम्हें कौन उतरने देगा।
प्यार तहज़ीब-ए-तअल्लुक़ का अजब बंधन है
डूब जाने को, जो तक़दीर समझ बैठे हों
ऐसे लोगों में मुझे कौन उभरने देगा
सब से जीती भी रहे सब की चहेती भी रहे
ज़िन्दगी ऐसे तुझे कौन गुज़रने देगा
दिल को समझाओ कि बेकार परेशां है 'वसीम'
अपनी मनमानी उसे कोई न करने देगा।
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