Hindi Kavita
हिंदी कविता
कहाँ सवाब कहाँ क्या अज़ाब होता है - वसीम बरेलवी
Kahan Sawaab Kahan Kya Azaab Hota Hai - Waseem Barelvi
कहाँ सवाब कहाँ क्या अज़ाब होता है
मोहब्बतों में कब इतना हिसाब होता है
बिछड़ के मुझ से तुम अपनी कशिश न खो देना
उदास रहने से चेहरा ख़राब होता है
उसे पता ही नहीं है कि प्यार की बाज़ी
जब उस के पास गँवाने को कुछ नहीं होता
तो कोई आज का इज़्ज़त-मआब होता है
जिसे मैं लिखता हूँ ऐसे कि ख़ुद ही पढ़ पाँव
किताब-ए-ज़ीस्त में ऐसा भी बाब होता है
बहुत भरोसा न कर लेना अपनी आँखों पर
दिखाई देता है जो कुछ वो ख़्वाब होता है।
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