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हिंदी कविता
जीते हैं किरदार नहीं है - वसीम बरेलवी
Jeete Hai, Kirdaar Nahi Hai – Waseem Barelvi
जीते हैं किरदार नहीं है
नाव तो है पतवार नहीं है
मेरा ग़म मझधार नहीं है
ग़म है, कोई उस पार नहीं है
खोना पाना मैं क्या जानूँ
सजदा वहां इक सर की वर्जिश
सर पे जहां तलवार नहीं है
मैं भी कुछ ऐसा दूर नहीं हूँ
तू भी समंदर पार नहीं है
पहले तोलो, फिर कुछ बोलो
लफ्ज़ कोई बेकार नहीं है
मैं सबसे झुककर मिलता हूँ
मेरी कहीं भी हार नहीं है।
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