Hindi Kavita
हिंदी कविता
अपने साए को इतना समझाने दे - वसीम बरेलवी
Apne Saaye Ko Itna Samjhane De – Waseem Barelvi
अपने साए को इतना समझाने दे
मुझ तक मेरे हिस्से की धूप आने दे
एक नज़र में कई ज़माने देखे तो
बूढ़ी आँखों की तस्वीर बनाने दे
बाबा दुनिया जीत के मैं दिखला दूँगा
मैं भी तो इस बाग़ का एक परिंदा हूँ
मेरी ही आवाज़ में मुझ को गाने दे
फिर तो ये ऊँचा ही होता जाएगा
बचपन के हाथों में चाँद आ जाने दे
फ़सलें पक जाएँ तो खेत से बिछ्ड़ेंगी
रोती आँख को प्यार कहाँ समझाने दे।
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