Hindi Kavita
हिंदी कविता
अपने अंदाज़ का अकेला था - वसीम बरेलवी
Apne Andaz Ka Akela Tha - Waseem Barelvi
अपने अंदाज़ का अकेला था
इस लिए मैं बड़ा अकेला था
प्यार तो जन्म का अकेला था
क्या मिरा तजरबा अकेला था
साथ तेरा न कुछ बदल पाया
बख़्शिश-ए-बे-हिसाब के आगे
मेरा दस्त-ए-दुआ अकेला था
तेरी समझौते-बाज़ दुनिया में
कौन मेरे सिवा अकेला था
जो भी मिलता गले लगा लेता
किस क़दर आइना अकेला था।
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