Hindi Kavita
हिंदी कविता
अच्छा है जो मिला वह कहीं छूटता गया - वसीम बरेलवी
Achha Hai, Jo Mila, Wah Kahi Chhootata Gaya - Waseem Barelvi
अच्छा है जो मिला वह कहीं छूटता गया
मुड़ मुड़ के ज़िन्दगी की तरफ देखना गया
मैं खाली ज़ेब सब की निगाहों में आ गया
सड़कों पे भीख मांगने वालों का क्या गया
जाना ही था तो जाता उसे इख़्तियार था
क्यों मुझमें ढूंढता है वह पहला सा ऐतबार
जब उसकी ज़िन्दगी में कोई और आ गया
उसने भी छोड़ दी मेरे बारे में गुफ्तगू
कुछ दिन के बाद मैं भी उसे भूल-सा गया
मेले की रौनकों में बहुत ग़ुम तो हो 'वसीम'
घर लौटने का वक़्त मियां सर पे आ गया।
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