Subhadra Kumari Chauhan सुभद्राकुमारी चौहान

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Subhadra-Kumari-Chauhan

Subhadra Kumari Chauhan ka jeevan parichay
सुभद्राकुमारी चौहान का जीवन परिचय

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 प्रयाग में ठाकुर रामनाथ सिंह के घर हुआ। शिक्षा भी प्रयाग में ही हुई। सुभद्रा कुमारी बाल्यावस्था से ही देश-भक्ति की भावना से प्रभावित थीं। इन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। विवाह के पश्चात भी राजनीति में सक्रिय भाग लेती रहीं। 15 फ़रवरी 1948 को दुर्भाग्यवश मात्र 43 वर्ष की अवस्था में एक दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई। 

कुछ प्रमुख कृतियाँ

'मुकुल (कविता-संग्रह), 'बिखरे मोती (कहानी संग्रह), 'सीधे-सादे चित्र और 'चित्रारा। 'झाँसी की रानी इनकी बहुचर्चित रचना है। इन्हें 'मुकुल तथा 'बिखरे मोती पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।

कथा साहित्य 

'बिखरे मोती' उनका पहला कहानी संग्रह है। इसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंछलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम्ब के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल १५ कहानियां हैं। 
अधिकांश कहानियां नारी विमर्श पर केंद्रित हैं। उन्मादिनी शीर्षक से उनका दूसरा कथा संग्रह १९३४ में छपा। इस में उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग, व वेश्या की लड़की कुल ९ कहानियां हैं। 
इन सब कहानियों का मुख्य स्वर पारिवारिक सामाजिक परिदृश्य ही है। 'सीधे साधे चित्र' सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व अंतिम कथा संग्रह है। इसमें कुल १४ कहानियां हैं। रूपा, कैलाशी नानी, बिआल्हा, कल्याणी, दो साथी, प्रोफेसर मित्रा, दुराचारी व मंगला - ८ कहानियों की कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजिक समस्यायें हैं। हींगवाला, राही, तांगे वाला, एवं गुलाबसिंह कहानियां राष्ट्रीय विषयों पर आधारित हैं। 
सुभद्रा कुमारी चौहान ने कुल ४६ कहानियां लिखी और अपनी व्यापक कथा दृष्टि से वे एक अति लोकप्रिय कथाकार के रूप में हिन्दी साहित्य जगत में सुप्रतिष्ठित हैं। 

प्रसिद्ध पंक्तियाँ 

यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ 
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
 दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। 
मुझे छोड़ कर तुम्हें प्राणधन
सुख या शान्ति नहीं होगी 
यही बात तुम भी कहते थे 
सोचो, भ्रान्ति नहीं होगी।
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
की कविता 

Famous Poetry of Subhadra Kumari Chauhan

सुभद्राकुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता

जलियाँवाला बाग में बसंत - सुभद्रा कुमारी चौहान

ठुकरा दो या प्यार करो - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरा नया बचपन - सुभद्रा कुमारी चौहान

यह कदम्ब का पेड़ - सुभद्रा कुमारी चौहान

वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्रा कुमारी चौहान

Poetry of Subhadra Kumari Chauhan

सुभद्राकुमारी चौहान की कविता

अनोखा दान - सुभद्रा कुमारी चौहान

आराधना - सुभद्रा कुमारी चौहान

इसका रोना - सुभद्रा कुमारी चौहान

उपेक्षा - सुभद्रा कुमारी चौहान

कलह-कारण - सुभद्रा कुमारी चौहान

कोयल - सुभद्रा कुमारी चौहान

कठिन प्रयत्नों से सामग्री - सुभद्रा कुमारी चौहान

खिलौनेवाला - सुभद्रा कुमारी चौहान

गिरफ़्तार होने वाले हैं- सुभद्रा कुमारी चौहान

चलते समय - सुभद्रा कुमारी चौहान

चिंता - सुभद्रा कुमारी चौहान

जीवन-फूल - सुभद्रा कुमारी चौहान

झांसी की रानी - सुभद्रा कुमारी चौहान

झाँसी की रानी की समाधि पर - सुभद्रा कुमारी चौहान

झिलमिल तारे - सुभद्रा कुमारी चौहान

तुम - सुभद्रा कुमारी चौहान

तुम मानिनि राधे - सुभद्रा कुमारी चौहान

तुम मुझे पूछते हो - सुभद्रा कुमारी चौहान

नीम - सुभद्रा कुमारी चौहान

परिचय - सुभद्रा कुमारी चौहान

पानी और धूप - सुभद्रा कुमारी चौहान

पूछो - सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रथम दर्शन - सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रतीक्षा - सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रभु तुम मेरे मन की जानो - सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रियतम से - सुभद्रा कुमारी चौहान

फूल के प्रति - सुभद्रा कुमारी चौहान

बादल हैं किसके काका ? - सुभद्रा कुमारी चौहान

बालिका का परिचय - सुभद्रा कुमारी चौहान

बिदाई - सुभद्रा कुमारी चौहान

भैया कृष्ण! - सुभद्रा कुमारी चौहान

भ्रम- सुभद्रा कुमारी चौहान

मधुमय प्याली - सुभद्रा कुमारी चौहान

मुरझाया फूल - सुभद्रा कुमारी चौहान

मातृ-मन्दिर में - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरा गीत - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरा जीवन - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरी टेक - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरी कविता - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरे पथिक - सुभद्रा कुमारी चौहान

मेरे भोले सरल हृदय ने - सुभद्रा कुमारी चौहान

यह मुरझाया हुआ फूल है - सुभद्रा कुमारी चौहान

राखी - सुभद्रा कुमारी चौहान

राखी की चुनौती - सुभद्रा कुमारी चौहान

विजयी मयूर - सुभद्रा कुमारी चौहान

विदा - सुभद्रा कुमारी चौहान

वेदना - सुभद्रा कुमारी चौहान

व्याकुल चाह - सुभद्रा कुमारी चौहान

सभा का खेल - सुभद्रा कुमारी चौहान

समर्पण - सुभद्रा कुमारी चौहान

साध - सुभद्रा कुमारी चौहान

साक़ी - सुभद्रा कुमारी चौहान

स्मृतियाँ - सुभद्रा कुमारी चौहान

स्वदेश के प्रति - सुभद्रा कुमारी चौहान

हे काले-काले बादल - सुभद्रा कुमारी चौहान

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