Hindi Kavita
हिंदी कविता
Godohan-Varindavan Leela Bhakt Surdas Ji
गोदोहन-वृंदावन लीला
गोदोहन - सूरदास
मैं दुहिहौं मोहिं दुहन सिखावहु ।
कैसें गहत दोहनी घुटुवनि, कैसैं बछरा थन लै लावहु ।
कैसैं लै नोई पग बाँधत, कैसे लै गैया अटकावहु ।
कैसैं धार दूध की बाजति, सोई सोइ विधि तुम मोहिं बतावहु ।
निपट भई अब साँझ कन्हैया, गैयनि पै कहुँ चोट लगावहु ।
सूर श्याम सौं कहत ग्वाल सब,धेनु दुहन प्रातहि उठि आवहु ॥1॥
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