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बाबा बुल्ले शाह का जीवन परिचय
Baba Bulleh Shah ka jeevan parichay
बाबा बुल्ले शाह (१६८० -१७५८) पंजाबी सूफ़ी काव्य के आसमान पर एक चमकते सितारे की तरह हैं। उन की काव्य रचना उस समय की हर किस्म की धार्मिक कट्टरता और गिरते सामाजिक किरदार पर एक तीखा व्यंग्य है। उन की रचना लोगों में अपने लोग जीवन में से लिए अलंकारों और जादुयी लय की वजह से बहुत ही हर मन प्यारी है। बाबा बुल्ले शाह ने बहुत बहादुरी के साथ अपने समय के हाकिमों के ज़ुल्मों और धार्मिक कट्टरता विरुद्ध आवाज़ उठाई। बाबा बुल्ल्हे शाह जी की कविता में काफ़ियां, दोहड़े, बारांमाह, अठवारा, गंढां और सीहरफ़ियां शामिल हैं ।
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